Monday, December 13, 2010

बगैर उन्वान के।

मुझे मौत से डर लगता है, और ज़िन्दगी गोया ईशवर रचित पहेली. जिसे हल करने के लिए इस पहेली रुपी इम्तेहान सूची में हर उस शख्स का नाम दर्ज है जिसने धरती पर जन्म लीया है. गर मृत्यु ही शास्वत सत्य है तोह वह आखिर क्या परिणाम / फल/ रोशनी है जो हमे यह पहेली हल करने पर नसीब होगी, वह क्या है  जिससे ईशवर हमे मुखातिब करवाने पर आमागा है?... धन? ..या राज पाठ?...या  नाम? या.....ढेरों चहीते रिश्तेदार जो आपके नाम पैसे के कायल हैं. मुझे मौत से डर लगता है, और ज़िन्दगी गोया ईशवर रचित पहेली.
मुझे ईशवर से सक्त इर्षा है. जहाँ हम इस कमियाबी-नाकमियाबी, भाव-आभाव, प्रेम-घृणा, सुख-दुःख, जीवन-मृत्यु रुपी देहलीज़ पर खड़े जून्जते रहते  हैं, वहीँ वह कहीं हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों में तितलियाँ पकड़ उन्हें उड़ा देता होगा और फिर पकड़ता होगा फिर उड़ाता होगा.

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