Thursday, December 16, 2010

सुंदर-सुडौल प्रड्यूसर साहब।

शाम की 9 बज रहे होंगे जब प्रड्यूसर साहब की ऑफिस में शिरकत हुई. पिछले दो माह से हमारा ऑफिस फ़ुरसत में है. वैसे तोह ज्यादातर छोटे बड़े सभी एडवरटाईसिंग प्रोडक्शन हाउसेस व्यस्त रहते हैं, परन्तु हमारा व्यापर प्रड्यूसर साहब की तीव्र बुद्धी  के बावजूद रेंगता रहता है. ऑफिस में प्रवेश करते ही वे सीधा डायेरेकटर्स रूम में दाखिल हुए, और पीयून द्वारा सभी मुलाज़िमो को अर्जेंट मीटिंग के लिए बुलवाया गया. पिछले दो महीने से ख़ाली बैठने के कारण हल्की होती तिजोरी की चिंता प्रड्यूसर साहब के चेहरे पर जाड़े की धुंध समान छाई हुई है. हात में पकडे एक पेन्सिल बॉक्स को तमाम मुलाज़िमो को दिखने हेतु ऊपर उठाते हुए कहने लगे " guys i hav called u in for a lilttle brain storming session.. ye pencil box jo aap dekh rahe hain ek nayi company hai which is soon going to be launched..owner is good friend of mine. he knows we are 15 years old in this business. so..he has asked me to launch a campaign plus marketing strategy, print & hoarding.... so!...dipali?"  (NID pass out - graphic designer )दिपाली जो अपने काम में मसरूफ प्रड्यूसर साहब की बात सुन नहीं पाती, तोह क्रोध से पीड़ित प्रड्यूसर साहब उसपर गरज पड़ते हैं.  "what is so important?...i want every one to pay attention when am talking do you understand that?...good... ok.. i need a research to be done..types of pencils, there uses, kind of material used." कचर! कचर! कचर! कचर! ........
निर्धारित समय पर हाज़िर कीये जाने वाले कार्य पर विराम दे  दिपाली ने इन्टरनेट पर दौड़ लगानी शुरू कर दी. प्रड्यूसर साहब उसे तब तक घूरते रहे जब तक उसने इन्टरनेट खोल साहब की फ़र्मान्बर्दारी शुरू ना कर दी. फिर सारे शेष मुलाज़िमों से मुखातिब हुए और कहने लगे..."common guys...i need some ideas....nikhil?"  निखिल (struggling & only in house director which our company possess) अपने सरपरस्त की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था जब उस्सी सरपरस्त ने उसे आज़मा डाला...."what do you think how can we sell it magnificently?" nikhil: "sparsh i think we should definitely do this & ... definitely some thing with stop motion..awesome graphics .. setting a color palate..with some elegant foregrounding backgrounding" डायेरेक्टर द्वारा दिए गए सुझाव शायद प्रड्यूसर साहब को पसंद नहीं आए और वे दिपाली पर दुबारा गरज पड़े.  "dipali what is taking you so long...no leave it fuckit....who can find the types of pencils..the data which is very well there on internet. i cant fukin waist my life for such a stupid information... who'll do this, i have 5 minutes" सआदत सभी मुलाज़िम हात पीछे बांधे बेपरवाह सर झुकाए खड़े थे, जब प्रड्यूसर साहब की नज़रें बारी-बारी हर मुलाज़िम की जुल्फों से मुख़ातिब हुई. सबसे आखिर में मैं खड़ा था, एवं कन्खनियों से दिपाली की ओर देख उससे गुफ्तगू करने की कोशिश कर रहा था. अभी चार पल बाद ही मेरी नज़रें प्रड्यूसर साहब से मुख़ातिब होंगी इसका मुझे इल्म था. चुनांचे फटाफट एक दो इशारे दिपाली की तरफ कर मैंने तवज्जो प्रड्यूसर साहब की जानिब करदी. और चेहरे पर वो तेज प्रकट कीया की साहब ने कहा.."shirish can you do it?...five minutes.." में संजिदगी से सर हिला डायेरेकटर्स रूम के बहार निकल प्रोडक्शन रूम में आया और इन्टरनेट खोल फ़र्मान्बर्दारी में मसरूफ हो गया. 'बड़े ग़ुलाम अली खान साहिब' की आवाज़ सुनते सुनते मैंने चट चट दो-चार प्रिंट के कमांड दीए. गुलाम xerox मशीन आदेश पर चौंक चमक उठी और सटा-सट चार पन्ने छाप कर हाज़िर कर दीए. और में प्रड्यूसर साहब के समक्ष हाज़िर हो गया.  डायेरेकटर्स रूम में दाखिल होते ही मैं संजीदा हो गया और मुस्कुराहट चेहरे से छू. deep research साहब को सौंप दी. दो चार अर्क पलटने के बाद उन्होंने मुझे साबशी दी. भीतर तर्क-वितरकों और आइडियास का सिलसिला जारी था. कमअज़कम पंद्रह-बीस मिनट प्रड्यूसर साहब और डायेरेक्टर के परस्पर सुझावों को लेकर हो रही चर्चा हमारे कानो में लोरियों की तरह भन्नाती रही, और हम खड़े खड़े ऊंघते रहे.
चर्चा कुछ नतीजों पर पहुंची. साहब ने कुछ-कुछ काम कुछ-कुछ लोगों को सौंप दीए, और नतीजों की फ़र्मान्बर्दारी की प्रगति पर चर्चा की तारीख़ तय की. समापन समारोह के चंद प्रेरनादायी शब्द कहकर प्रड्यूसर साहब मीटिंग से फ़ारिग हो गए. और कुछ क्षणों बाद ऑफिस से भी.  मुझे कंपनी का/मेरा भविश्य उज्जवल महसूस होने लगा. प्रड्यूसर साहब की इस मीटिंग के बाद हमारी कंपनी ने  प्रोडक्शन हाउस के साथ-साथ एडवरटाईसिंग एजेंसी का भी मयीय्यार हासिल कर लीया था.  थोड़े ही दिनों बाद काम आ गया और सभी जन मसरूफ हो गए. फिर फ़ुरसत से बैठे फिर मसरूफ. परन्तु उस दिन के बाद दुबारा उस 'पेंसिल कंपनी के मुताल्लिक़ कोई चर्चा ना हुई. फ़ुरसत में मीटिंगें होती परन्तु हर बार महकमें मुक्तलिफ़ होते. लगभग मुलाज़िम जा चुके थे. प्रोडक्शन रूम में रखी वर्ल्ड क्लॉक भारत के हिस्से में दस बजा रही थी जब में अपना साजो-सामान समेट फ़ारिग होने लगा.

ऑफिस से बाहर निकला तो कुत्तों के भौंकने की आवाजें आने लगी. एक झबरी कुतिया दुम हिलाते हुए दो कुत्तों से अपनी आबरूह बचा चली जा रही है. कद में कम, परन्तु हष्ट-पुष्ट सुंदर-सुडौल आवारा कुत्ता अपने प्रतिद्वंदी कुत्ते पर गुर्रा रहा है. प्रतिद्वंदी कुत्ते के मिलन आसार उस कुतिया के साथ ज्यादा हैं. शायद वैसा ही कुछ महसूस कर सुंदर-सुडौल कुत्ता विरोध करने लगा. लगातार होते विरोध से तंग झबरी कुतिया एवं प्रतिद्वंदी कुत्ता संग भागने लगे, तथा सुंदर-सुडौल कुत्ते की नज़रों से एकाएक ओझल हो गए. इस कुकूर जोड़े का भाग निकलने का काम आसान उस लौरी ने कर दीया था जो मेन गेट से कालोनी के भीतर चली आ रही थी. सुंदर-सुडौल कुत्ता पग्लाने लगा. अजीबोग़रीब ध्वनियाँ निकाल सड़क पर लोटने लगा. आते जाते दुपहिया वाहनों के पीछे भागने-भौंकने  लगा. कॉलोनी की सीधी सड़क मैंने आधी नापी होगी जब सुंदर-सुडौल कुत्ता मेरे पीछे से भागता हुआ आगे निकल गया. आहट सुनकर मैंने अपना लैपटॉप बैग ताना, और पलटकर मारने के लिए तैय्यार हुआ उससे पहले ही वह मुझ से पार हो मेरी कन्खनियों से ओझल हो गया. लैपटॉप बैग कन्धों पर डाल में चलने लगा. कॉलोनी के मेन गेट पर खड़ा सुंदर-सुडौल कुत्ता सामने वाली मेन रोड की तरफ रुख कर बेतहाशा भौंकेने लगा. लाल सिग्नल के बाईस सड़क पर गाड़ियों की लम्बी कतार थी. दूसरी तरफ से गाड़ियाँ हवा से बातें करती दौड़े जा रही थी. मुझे उस सुंदर-सुडौल कुत्ते की ज़िन्दगी से यकायक दिलचस्पी पैदा हुई. मैंने देखा कि सड़क के उस पार, सिग्नल के पास झबरी कुतिया व प्रतिद्वंदी कुत्ते के बीच आग बराबर लगी हुई है. दूर से विरोध होते देख कुकूर जोड़े ने अपनी गतिविधि पर विराम दीया, और दूर निकल गए. दुबारा कुकूर जोड़े के ओझल हो जाने पर सुंदर-सुडौल कुत्ता अजीब-अजीब आवाजें निकालने लगा, और सड़क पर लोटने लगा.
मैं मेन गेट से बाहर निकलकर सड़क पर आया और रिक्शा रुकवाने हेतु हात आढ़ा कर खड़ा हो गया. पलटकर देखा तो कॉलोनी का चौकीदार उस सुंदर-सुडौल कुत्ते पर लाठीयाँ बरसा रहा था, तथा अपना कम्बल उसके दांतों से छुड़वाने की जद्दोजहद कर रहा था.

1 comment:

  1. इस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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